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Ratna Pandey

Inspirational

5.0  

Ratna Pandey

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नारी की चाहत

नारी की चाहत

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राधा बन प्यार बरसाती हूँ मैं,

मीरा बन ज़हर भी पी जाती हूँ मैं,

सीता बन अपनी लाज बचाती हूँ मैं,

उर्मिला बन त्याग और बलिदान सिखाती हूँ मैं,

काली बन राक्षसों का संहार करती हूँ मैं,

और दुर्गा बन हर मुश्किल से लड़ती हूँ मैं।


नारी हूँ हर गुण अपने अंदर संजो कर रखती हूँ मैं,

भगवान ने भी दिया है मान मुझे,

बराबरी का दिया है स्थान मुझे,

किन्तु इंसान आज भूल गया,

नारी की इज़्जत को मिट्टी में रोंद गया,

कोई पति बन शासन चलाता है,

कोई भाई बन हुक्म चलाता है,

कोई जन्म लेते से मृत्युलोक पहुँचाता है,

कोई वासना की निगाहें गड़ाता है,

और कोई तिरस्कृत कर मुझे

अपनी शान समझता है।


ऐ ज़िंदगी मान दे मुझे,

नहीं हूँ कम पुरुष से किसी भी क्षेत्र में मैं,

ऐ ज़िंदगी बराबरी का हक़ और सम्मान दे मुझे,

कोख में रहता है आँचल में मेरे पलता है,

ममता के साये में जवां होता है,

ऐ ज़िंदगी पुरुष की हर धड़कन को यह एहसास दे,

कि नारी से ही अस्तित्व है,

नहीं रह सकता पुरुष नारी के बिन यहाँ,

नहीं जी सकता पुरुष नारी के बिन यहाँ,

है सिर्फ इतनी ही चाहत,

ऐ ज़िंदगी मान दे मुझे,

ऐ ज़िंदगी बराबरी का हक़ और सम्मान दे मुझे।



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