ना मुकम्मल सा एक वादा
ना मुकम्मल सा एक वादा
उलझता हूँ उससे एक माझा सा हूँ मैं
पतंगों सा उड़ता इरादा सा हूँ मैं
ना मुकम्मल सही एक वादा सा हूँ मैं
तुम बारिश सही, एक बादल सा हूँ मैं
तुम बूंद सही, एक सागर सा हूँ मैं
उफनती नदी में लहरों सा हूँ मैं
तेरे संग जागा कई पहरों से हूं मैं
तुझे चाहता कुछ ज्यादा सा हूँ मैं
ना मुकम्मल सही एक वादा सा हूँ मैं
करीब ना सही तुझसे दूर भी नही मैं
तुझे छोड़ दूं इतना मगरूर भी नही मैं
लगा कर गले तुझे बतलाऊंगा मैं
तुझमे बस जाने का इरादा सा हूँ मैं
ना मुकम्मल सही एक वादा सा हूँ मैं।

