तुझमें मेरी बारिश के बुलबुले
तुझमें मेरी बारिश के बुलबुले
तुझमें एक दिन मेरी बारिश के बुलबुले उठेंगे,
जब हम तुम्हारे होश-ओ-हवास में तुमसे मिलेंगे,
तुम्हारी रूह भी फना फ़ना सी होकर घूमेगी,
कुछ इस तरह हम तुमसे कसकर गले मिलेंगे,
छुएंगे तुम्हारी पेशानी को अपने सूखे होठों से,
कुछ इस तरह तुम्हें हमारे बोसे मिलेंगे,
बिछड़ ना पाओगे हमारी यादों से तुम भी कभी,
पकड़ कर हाथ तुम्हारा कुछ यूँ हम मंजिलों को चलेंगे,
गुम हो जाये कहीं सरे राह गर चलते चलते,
रहेंगे कहीं भी फिर भी हमेशा तुम्हारे मिलेंगे,
आखिरी सांस भी लेंगे तो लेंगे तुमहारे ही दम से,
बिछड़ कर तुमसे मेरी रूह को सिर्फ शिकवे मिलेंगे,
मेरी सांस की डोर भी अब तुझसे कुछ यूं जुड़ी है,
तुम्हारे बाद अब हम सिर्फ मिट्टी में ही मिलेंगे,
तुझमे एक दिन मेरी बारिश के बुलबुले उठेंगे
जब हम तुम्हारे होश-ओ-हवास में तुमसे मिलेंगे।