ranjeet gaikwad
Tragedy
ना जाने क्यों टूटा हुं मैं
सारी दुनिया से रूठा हुं मैं
दिल सच्चा है, लेकिन ज़माने के लिए झूठा हुं मैं
आज फिरसे गीरकर अपने पैरों पर उठा हुं मैं
ना जाने
नहीं नार! यह क्रूरता मंजूर नहीं शस्त्र तेरा, तुझे खुद बनना होगा नहीं नार! यह क्रूरता मंजूर नहीं शस्त्र तेरा, तुझे खुद बनना होगा
आसमां में छायी काली घटा थमने का कहीं नाम नहीं है आसमां में छायी काली घटा थमने का कहीं नाम नहीं है
बड़े मस्ती भरे अंदाज में कहा किसी ने क्या तुम को तकलीफ नहीं होती? बड़े मस्ती भरे अंदाज में कहा किसी ने क्या तुम को तकलीफ नहीं होती?
एक शून्य! जिसको कभी दर्द नहीं होता! जिसका अपना कुछ नहीं होता! एक शून्य! जिसको कभी दर्द नहीं होता! जिसका अपना कुछ नहीं होता!
कब तक निर्वस्त्र होती रहेंगी द्रौपादियां। कब तक चीरहरण करवाओगे।। कब तक निर्वस्त्र होती रहेंगी द्रौपादियां। कब तक चीरहरण करवाओगे।।
जिसने खुद को बनाया मित्र शूल महकाते, उसका चरित्र जिसने खुद को बनाया मित्र शूल महकाते, उसका चरित्र
सोच रहा हूँ आज, कि कुछ नया लिखूँ। लेकिन समझ न आए, कि मैं क्या लिखूँ? सोच रहा हूँ आज, कि कुछ नया लिखूँ। लेकिन समझ न आए, कि मैं क्या लिखूँ?
मैंने भी अनजाने में इस भीड़ का हिस्सा बन कर खुद को खो दिया है। मैंने भी अनजाने में इस भीड़ का हिस्सा बन कर खुद को खो दिया है।
राजनीति के खेल में आज कुर्सी भी अपना महत्व खो रही है। राजनीति के खेल में आज कुर्सी भी अपना महत्व खो रही है।
उतार फेंकू यह खामोश मुखौटे और तबाही का शोर हो जाऊँ उतार फेंकू यह खामोश मुखौटे और तबाही का शोर हो जाऊँ
आज की इस दुनिया में हर इंसान अकेला है, जितने भी सुख -दुख आए सब उसने ही झेला है। आज की इस दुनिया में हर इंसान अकेला है, जितने भी सुख -दुख आए सब उसने ही झेला ह...
सुस्त रफ्तार से गाड़ी चल रही है बैठे -बैठे हमलोगों को नींद आ रही है। सुस्त रफ्तार से गाड़ी चल रही है बैठे -बैठे हमलोगों को नींद आ रही है।
कभी जो रूठ जाऊँ मैं तो तुम मनाने भी नहीं आते। कभी जो रूठ जाऊँ मैं तो तुम मनाने भी नहीं आते।
दुःशासनो की भीड़ में चीखती पांचाली अब हर घड़ी हर नारी है खड़ी आज बन कर द्रौपदी। दुःशासनो की भीड़ में चीखती पांचाली अब हर घड़ी हर नारी है खड़ी आज बन कर द्र...
ये नंगें लोगों की पसंद के, ऊँचे लिबास, लोगों को रिझाने की कोशिश घटिया बात। ये नंगें लोगों की पसंद के, ऊँचे लिबास, लोगों को रिझाने की कोशिश घटिया बात।
देश हमारा जल रहा , नेता कैसे छल रहा। देश हमारा जल रहा , नेता कैसे छल रहा।
देवी के रूप में जहाँ पर, नारी को पूजा जाता है। देवी के रूप में जहाँ पर, नारी को पूजा जाता है।
बेटियां होतीं हैं देवी का रूप किस कदर हमारे चारों तरफ लोगों ने ये भ्रम फैला रक्खा है। बेटियां होतीं हैं देवी का रूप किस कदर हमारे चारों तरफ लोगों ने ये भ्रम फैला ...
बेइंतहा ये जिंदगी जब सताती है हमें जानेमन याद तेरी तब बहुत आती हमें। बेइंतहा ये जिंदगी जब सताती है हमें जानेमन याद तेरी तब बहुत आती हमें।
भटकता बचपन सड़को पर, पहने धूल धूसरित वस्त्र। भटकता बचपन सड़को पर, पहने धूल धूसरित वस्त्र।