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Aarti Sirsat

Abstract Inspirational

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Aarti Sirsat

Abstract Inspirational

"ना जाने, मैं कौन हूँ"

"ना जाने, मैं कौन हूँ"

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ना तो मैं कोई दिन हूँ

ना तो मैं कोई रात हूँ...।

रात के अँधेरे में आसमान 

से टूटा हुआ एक तारा हूँ...।


ना तो मैं कोई जीत हूँ

ना तो मैं कोई हार हूँ...।

समय की डोर से टूटा हुआ 

एक अंश समय का हूँ...।।


ना तो मैं कोई जाति हूँ

ना तो मैं कोई धर्म हूँ...।

समाज के जुल्मों से परेशान 

हुआ एक सामाजिक रोग हूँ...।।


ना तो मैं कोई कहानी हूँ

ना तो मैं कोई कविता हूँ...।

कलम कि आँखों से निकला

हुआ एक आँसू हूँ...।।


ना तो मैं कोई शायर हूँ

ना तो मैं कोई गायक हूँ...।

शब्दों के भँवर में गुम 

हुआ एक अशब्द हूँ...।।


ना तो मैं कोई सफर हूँ

ना तो मैं कोई मंजिल हूँ...।

बीच राह भटकता हुआ

एक मुसाफिर हूँ...।।


ना तो मैं कोई सवाल हूँ

ना तो मैं कोई जवाब हूँ...।

खुद के सवालों में उलझा 

हुआ एक सवाल हूँ...।।


ना तो मैं कोई आसमान हूँ

ना तो मैं कोई जमीन हूँ...।

जमीन आसमान के बीच में 

फसा हुआ एक परिंदा हूँ...।।

   

  


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