न कर कोई ग़म
न कर कोई ग़म
तू उम्मीद भी किए जा, सजदा भी किए जा,
उसके रहम की दुआ भी किए जा,
ठोकरें जितनी भी मिलें -
इरादे कड़े किए जा ।
ग़र सपने सब न हों पूरे, बेशक हों कम
उस पल भी मेरे दोस्त ! न कर कोई ग़म
जीवन के रास्ते नहीं होते सरल,
मुश्किलातों से भरे हुए हैं सब पल,
ज़िंदगी जब सरल कम,टेढ़ी लगे ज़्यादा,
करके भी कोई न पूरा करे वादा,
जब नम हों आँखें, भरा हो मन,
उस पल भी मेरे दोस्त ! न कर कोई गम ।
जब उजली धूप अपने हिस्से की भी न मिले,
चाँदनी कट छट भी न खिले,
पूनम का चाँद हो या अमावस की रात,
ज़िंदगी चलती रहे न रुके कोई बात,
जब आँसुओं से भी भीगा हो तेरा दामन,
उस पल भी मेरे दोस्त ! न कर कोई गम।