मुस्कुराते रहें हम
मुस्कुराते रहें हम
अपने दिल क़ो आप ही बहलाते रहे हम
चोट खाते रहे और मुस्कुराते रहे हम
पूछते रहे सभी से अपना पता उम्र-भर
किसी अजनबी क़ो रास्ता बताते रहे हम
सब वैसे का वैसा है बस एक़ तुम नहीं वहाँ
तेरे बाद भी तेरी गली में आते-जाते रहे हम
जहाँ गए वहाँ से कुछ उदासियाँ उठा लाए
अपनी ज़िन्दगी क़ो आप ही उलझाते रहे हम
आया नहीं मुझे कभी ये शेरो-शायरी का हुनर
बस अपने आँसुओं क़ो पन्नों पर सजाते रहे हम।