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DEEPIKA DINODIA

Abstract Others

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DEEPIKA DINODIA

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मुक़द्दर

मुक़द्दर

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दिल में है अरमान बड़े, 

जिनके लिए दुनिया से हम लड़े

मेहनत में कुछ कसर सी रह गयी,

ख्वाबों की इमारत एक झटके में ढह गयी

निश्चय कर फिर से बनाना है,

अपनी किस्मत को ,

उसके मुक़द्दर से मिलाना है

फिर से लक्ष्य पाने की

जगानी है खुद मैं आस ,

इस बार पूरी ताकत से करना है,

मंजिल पाने का प्रयास

खुद को अपने आलस

से जगाना है

जगा कर खुद को

अपना लक्ष्य पाना है


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