मुफ्त के पल
मुफ्त के पल
मुफ्त में जो मिला आज
हमे ढेर सारा समय
तो क्यों न इसे जी ले
आओ न अब तो खुद से मिल ले
कर लो अब मन भर के
बातें अपनों से
मना लो रूठ लो
और जी लो ये मुफ्त के पल
सोचो तो कब बैठे थे
अपनों के पास
कब हाथों में हाथ पकड़
की थी प्यार की बात
तो करो न आज
और जी लो मुफ्त के ये पल
कर लो न कुछ अल्हड़ सी
नादानियाँ
घुल जाओ न अपने मन में
अपने तन में
और जी लो मुफ्त के ये पल
