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Anonymous Writer

Abstract

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Anonymous Writer

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मुलाकात

मुलाकात

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मुख्तसर मुलाकात है ये

सभा में समा जलाए रखना।


ख्वाहिशों का सिलसिला अब चलता रहेगा

तबस्सुम अपने होठों पर बनाए रखना।


बावरा सा हूं मैं, कहो तो एक नगमा सुना दूँ

मगर सुन कर चले जाओ, ऐसे मुसाफिर मत बन जाना


इसी रास्ते पर मयखाना है दिखा दूँ तुम्हें

मगर फिर उसके तलबगार मत बन जाना


देखता रहूं आपको चांद की तरह रात भर

तो कल सुबह फिर आप, आफताब मत हो जाना।


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