मुझे उड़ना है
मुझे उड़ना है
मुझे उड़ना है उड़ जाने तो दो
पँखों में जान तो आने तो दो
चलना अभी तो सीख रहा हूँ
थोड़ी-सी दौड़ लगाने तो दो
कष्टों से रूबरू हो जाऊँगा मैं
दो-दो हाथ आजमाने तो दो
ताउम्र न कोई साथ देता यहाँ
ख़ुद को आईना बनाने तो दो
चल पड़े तो बाधाएँ भी थर्राएँ
उनसे नज़रें फिर मिलाने तो दो
तकलीफें दूर हमीं से होंगी सारी
बढ़कर मुश्किलों से टकराने तो दो
अभी ख़्वाब आँखों में पल रहे हैं
हक़ीक़त में उनको सजाने तो दो