मुझे ख़ुद से ही एक खता है
मुझे ख़ुद से ही एक खता है
यारों मोहब्बत गर ख़ुदा है,
तो मुझे ख़ुद से ही एक खता है
मेरे दरवाजे पर दी थी दस्तक़, उस ख़ुदा ने कई बार
अपने ही अहम् में खोया मैं, दरवाज़ा खोल नहीं पाया
उसी ख़ुदा के लिए घुमता रहा मैं, दरबदर
वो मेरे सामने था पर, मैं बेवकूफ़ उसे देख नहीं पाया ।।