लाचारी
लाचारी

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लाचारी हो लाचारी ,
अपनी लाचारी को हम हरगिज़ भुला सकते नहीं।
अपनी लाचारी को हम हरगिज भुला सकते नहीं।
सर झुका सकते है लेकिन सर कटा सकते नहीं।
सर झुका सकते है लेकिन सर कटा सकते नहीं।
अपनी लाचारी को हम हरगिज भुला सकते नहीं।
हमने सदियोमे ये लाचारी की नेमत पाई है ,
हमने ये नेमत पाई है।
चाटे चमचे बनके हमने
ही ये दौलत पाई है, हमने ये दौलत पाई है।
मुस्कुराके उठाई है, नेताओंकी जूतियाँ ,
कितने लाचारी से गुजरे है तो जन्नत पाई है,
शान से हम अपनी इज्जत को बचा सकते नहीं,
सर झुका सकते है लेकिन सर कटा सकते नहीं ,
अपनी लाचारी को हम , हरगिज़ भुला सकते नहीं।
लाचारी हो लाचारी। ....