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Ayush Kaushik

Abstract

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Ayush Kaushik

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मुझे जल्दी नही

मुझे जल्दी नही

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बहुत कोशिश करके मैं ज़रा सा चल पाता हूँ,

कभी रुक जाता हूँ कभी थक जाता हूँ।

बस यूँ ही अब धीरे धीरे आगे बढ़ता हूँ,

कोई जल्दी नही मुझे इत्मीनान से आगे बढ़ता हूँ।

दुनिया सारी जल्दी से आगे निकले जा रही है,

न जाने वो जल्दी में है या मैं धीरे धीरे आगे बढ़ता हूँ।

अभी तो मैंने एक काम भी पूरा न किया

और बाकी सब तो दूसरा भी खत्म करने जा रहे है।

पता नही मैं धीरे धीरे करता हूँ या सब जल्दी ही कर लेते है।

देख इतनी जल्दी कभी कभी मन घबरा जाता है,

कि कैसे मैं इतना सफर तेय कर पाऊंगा

और कहीं काम अधूरा ही छोड़ के तो नही चला जाऊंगा।

फिर मैं सांस लेता हूँ और फिर से अपने काम में लग जाता हूँ,

चाहे एक ही काम होगा लेकिन बिल्कुल उपयुक्त ही करता हूँ।

फिर चाहे दुनिया कितना भी जल्दी में सब खत्म कर ले

और सफर अपना फटाफट तेय कर ले।

मैं तो अपनी रफ्तार से चलूँगा और यूँ ही धीरे धीरे आगे बढूंगा।

अजीब सी मारामारी लगी है, और सब जल्दी जल्दी में करते अब यकीन है।

ज्यादा तेजी कभी उचित नही होती और जो गलती हो जाए तो वो ठीक नही होती।

न जाने क्यों हर कोई इतनी जल्दी में है, और रुक के थोड़ी देर ये समय को महसूस नही करते

और थोड़ी देर खुद से भी बात नही करते।मेरे से ये न हो पाएगा और

जो मैं खुद से बात नही कर सकता तो कैसे और क्या ही मैं कर पाऊंगा।

मैं तो धीरे धीरे ही आगे जाऊंगा क्योंकि

बहुत कोशिश करके मैं ज़रा सा चल पाता हूँ, कभी रुक जाता हूँ कभी थक जाता हूँ।


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