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NAVIN JOSHI

Inspirational

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NAVIN JOSHI

Inspirational

मुझे आधा बनाऊँगा, तुझे आधा बनाऊँगा...

मुझे आधा बनाऊँगा, तुझे आधा बनाऊँगा...

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मुझे आधा बनाऊँगा, तुझे आधा बनाऊँगा।

अधूरे इन बुतों से फिर, बुत इक पूरा बनाऊँगा।


बुत : मूर्ती 


तू आएगा लगा के गर, मुखौटा अपने चेहरे पर,

मैं फिर से उस मुखौटे पर, तेरा चेहरा बनाऊँगा।


मेरी मिट्टी तेरी मिट्टी, मिलाऊँगा मैं कुछ ऐसे, 

मुझे तुझ सा बनाऊँगा, तुझे मुझ सा बनाऊँगा।


बनाने दे अगर मुझ को, तुझे आदम बनाऊँ फिर, 

मगर आदम के अंदर ही, मैं अब हव्वा बनाऊँगा।


आदम : एडम

हव्वा : ईव्ह 


कई किरदार मैं दूँगा, तुझे मेरी कहानी में,

कभी राधा बनाऊँगा, कभी मीरा बनाऊँगा।


जलाल-ए-इश्क़ को मेरे, ये तेरा हुस्न क्या जाने,

समुंदर है अगरचे तू , तुझे प्यासा बनाऊँगा।


अगरचे : यद्यपि


तेरा दीदार भी हो औ', हो हाजत भी उजालों की,

मैं मेरे जिस्म के भीतर, तेरा साया बनाऊँगा।


हाजत : इच्छा



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