NAVIN JOSHI

Others

3.8  

NAVIN JOSHI

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बात निकली तो मेरी ज़ात पर आकर ठहरी...

बात निकली तो मेरी ज़ात पर आकर ठहरी...

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बात निकली तो मेरी ज़ात पर आ कर ठहरी,

ज़ात से निकली तो औक़ात पर आ कर ठहरी।


ज़ात : स्वभाव  

औक़ात : हैसियत


अपने हक़ में कभी इस्बात नहीं दे पाया,

बे-गुनाही मेरी इस बात पर आ कर ठहरी।


इस्बात : सबूत का बहुवचन


जब भी उठ्ठी कभी चेहरों के लिए मेरी नज़र,

हर दफ़ा सिर्फ़ हिजाबात पर आ कर ठहरी।


हिजाबात : हिजाब का बहुवचन


वो जो इक बात कि जिस पर न कभी मैं ठहरा,

सब की हर बात उसी बात पर आ कर ठहरी।


मुख़्तसर ही रही चाहत की बग़ावत मुझ में,

जब भी सरकश हुई हालात पर आ कर ठहरी।


सरकश : विद्रोही, हठी, ज़िद्दी 


इस शनासाई को कैसे मैं शनासाई कहूँ, 

हर मुलाक़ात मुलाक़ात पर आ कर ठहरी।


शनासाई : जान-पहचान, परिचय


कुछ अधूरे से जवाबात की नादानी से,

मेरी हस्ती ही सवालात पर आ कर ठहरी।


सारी दुनिया में उजालों की मुनादी कर के, 

आज फिर एक सहर रात पर आ कर ठहरी।


मुनादी : घोषणा, ढिंढोरा



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