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नवीन जोशी 'नवा'

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नवीन जोशी 'नवा'

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ग़ज़ल : ख़ून से सींचा है...

ग़ज़ल : ख़ून से सींचा है...

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ख़ून से सींचा है लेकिन गुल्सिताँ मेरा नहीं है।

मेरे तिनकों से बना ये आशियाँ मेरा नहीं है।


आसमाँ ने कह के भेजा हक़ नहीं मेरा ज़मीं पर,

और ज़मीं कहती है अब वो आसमाँ मेरा नहीं है।


मैं जलाऊँ या बुझाऊँ दस्तरस में है ये मेरी,

आग-ओ-पानी हैं मेरे लेकिन धुआँ मेरा नहीं है।


एक धुँदला सा है नक़्शा एक उधारी की है कश्ती,

मेरी है पतवार अगरचे बादबाँ मेरा नहीं है।


हाथ भी मेरा क़लम मेरा सियाही भी है मेरी,

शाइरी भी है मेरी पर तर्जुमाँ मेरा नहीं है।


उम्र भर के इस सफ़र का मैं ही था बस एक हासिल,

राह पर मेरी मगर कोई निशाँ मेरा नहीं है।


शब्दों के अर्थ 

___________


दस्तरस में : पहुँच में, पकड़ में

तर्जुमाँ : अनुवादक, विवेचक

अगरचे : यद्यपि

बादबाँ : पाल, खेवन

हासिल : प्रतिफल


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