एक जाने-माने शाइर जो रेख़्ता पर सूचीबद्ध हैं। 'इंशाद' नामक एक ऐसे समूह के संस्थापक जो उभरते हुए शाइरों को शाइरी की बारीकियों से अवगत कराता है और उन्हें बढ़ावा देता है।
जब सुब्ह हुई आई जब साँझ ढली आई है याद तेरी तुझ सी बेबाक चली आई । जब सुब्ह हुई आई जब साँझ ढली आई है याद तेरी तुझ सी बेबाक चली आई ।
आ फिर से जी के देखें, हम अपनी वो जवानी, बन जाए फिर से शायद, इक प्यारी सी कहानी। आ फिर से जी के देखें, हम अपनी वो जवानी, बन जाए फिर से शायद, इक प्यारी सी कहान...
हो सदा जंग के आसार, कहाँ लिक्खा है ? हो सदा जंग के आसार, कहाँ लिक्खा है ?
एक वो शख़्स जो मुझ में है मुख़ालिफ़ मेरा, बस वही शख़्स है जो मुझ से निभा पाया है। एक वो शख़्स जो मुझ में है मुख़ालिफ़ मेरा, बस वही शख़्स है जो मुझ से निभा पाया...
मुझे लिखा ही गया था बराए चश्म तेरी, तेरे पढ़े बिना मैं हर्फ़-ए-बे-मआ'नी हूँ। मुझे लिखा ही गया था बराए चश्म तेरी, तेरे पढ़े बिना मैं हर्फ़-ए-बे-मआ'नी हूँ।
ख़ून से सींचा है लेकिन गुल्सिताँ मेरा नहीं है। मेरे तिनकों से बना ये आशियाँ मेरा नहीं ख़ून से सींचा है लेकिन गुल्सिताँ मेरा नहीं है। मेरे तिनकों से बना ये आशियाँ म...
आदतों में न करो अपनी 'नवा' को शामिल, जो न छूटे कभी ये है वो बुरी लत समझो। आदतों में न करो अपनी 'नवा' को शामिल, जो न छूटे कभी ये है वो बुरी लत समझो।
कभी हँसने का मज़ा हो कभी रोने का मज़ा। कभी पाने का मज़ा हो कभी खोने का मज़ा। कभी हँसने का मज़ा हो कभी रोने का मज़ा। कभी पाने का मज़ा हो कभी खोने का मज़ा।
कई किरदार मैं दूँगा, तुझे मेरी कहानी में, कभी राधा बनाऊँगा, कभी मीरा बनाऊँगा। कई किरदार मैं दूँगा, तुझे मेरी कहानी में, कभी राधा बनाऊँगा, कभी मीरा बनाऊँगा।
जो इक बात कि जिस पर न कभी मैं ठहरा, सब की हर बात उसी बात पर आ कर ठहरी। जो इक बात कि जिस पर न कभी मैं ठहरा, सब की हर बात उसी बात पर आ कर ठहरी।