STORYMIRROR

NAVIN JOSHI

Abstract

4  

NAVIN JOSHI

Abstract

मरने से पहले कुछ नशा आए...

मरने से पहले कुछ नशा आए...

1 min
224

मरने से पहले कुछ नशा आए

ज़ह्र पीने का भी मज़ा आए।


ज़र्फ़ देखेंगे तब चराग़ों का,

आज़माने को जब हवा आए।


नहीं उस्ताद ज़िंदगी से बड़ा,

ये सिखाए तो फ़लसफ़ा आए।


उनकी फ़ितरत है सो सुना ही नहीं,

अपनी आदत है सो सुना आए।


दुश्मनों तक ये बात पहुँचेगी,

दोस्तों को जो हम बता आए।


सिर्फ़ पिंजरा बदल गया उनका,

जिन परिंदों को हम उड़ा आए।


हमी ज़िंदान थे हमी क़ैदी,

हमी मुंसिफ़ हुए छुड़ा आए।


वुसअ'त-ए-आसमाँ की कुछ सोचो,

क़ुव्वत-ए-पर 'नवा' बढ़ा आए।


शब्दों के अर्थ

_______________


ज़र्फ़ : सामर्थ्य

फ़ितरत : स्वभाव

ज़िंदान : कारागृह

मुंसिफ़ : न्यायाधिश

वुसअ'त-ए-आसमाँ : आकाश का विस्तार

क़ुव्वत-ए-पर : पंख की शक्ति


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract