मुहब्बत
मुहब्बत
संभाला है हर गली,
मोड़, चौराहे पर,
तेरी राह पर
फिसल जाने को
जी चाहता है।
देती है ज़िन्दगी,
मुहब्बत
लोग कहते हैं,
मेरा तो इश्क में
मर जाने को जी चाहता है।
संभाला है हर गली,
मोड़, चौराहे पर,
तेरी राह पर
फिसल जाने को
जी चाहता है।
देती है ज़िन्दगी,
मुहब्बत
लोग कहते हैं,
मेरा तो इश्क में
मर जाने को जी चाहता है।