मसअला-ए-जिन्दगी
मसअला-ए-जिन्दगी
मसअला ये नहीं मुझे हुआ क्या है
मसअला ये है इस उम्र में होता क्या है
मसअला ये नही इक मतला हो तुम
मसअला ये है मकता कोई और होगा
मसअला ये नही तवायफ कोठे पे रहती हैं
मसअला ये है तवायफ बड़े अदब से रहती हैं
मसअला ये नही राते बे-रब्त गुजरेगी
मसअला ये है तेरी रूह को ओढ़ता आया हूँ
मसअला ये नही तू कितनी खूबसूरत हैं
मसअला ये है देखने का नज़रिया कैसा हैं
मसअला ये नही तरीफ कैसे करुँ आपकी
मसअला ये है अभी तलक़ निहार रहा हूँ तुम्हें