मृतकों का घर
मृतकों का घर
हर हॉस्पिटल में रहता है ,
मृतकों का घर ,
उस घर में न कोई भेद भाव ,
और ना ही कोई अमीर गरीब,।
सब एक से नंगे होते हैं ,
एक जैसे सब सोते हैं ,
ना कोई तकरार ना कोई बात,
सब रहते अपनी औकात ,।
सबके कमरे होते एक जैसा ,
इज्जत भी मिलती एक जैसा,
ना को प्रेम न कोई दुश्मनी ,
सबकी बोली बाद है अपनी,।