मोहलत - ए- जिंदगी ...
मोहलत - ए- जिंदगी ...
मोहलत - ए- जिंदगी मांगती बहुत है...
मेरी हर बातें, तेरी हर बात ,मानती बहुत है.....
माना कब का भूल चुका हूँ, मैं उसकी गली...
मकां का नक्शा यादशत, बखूबी जानती बहुत है...
मोहलत - ए - जिंदगी मांगती बहुत है...
मेरी हर बातें, तेरी हर बात ,मानती बहुत है.....
जी रहा हूँ इस बात की तसल्ली है लेकिन,
जीना भूल गया हूँ , इस बात की मन में क्रांति बहुत हूँ...
मोहलत- ए- जिंदगी मांगती बहुत है...
मेरी हर बातें, तेरी हर बात ,मानती बहुत है.....
अपनी गज़ल, हर रोज, कई मरतबा पढ़ लेता हूँ मैं...
खुद को तलाशने पर, मिलने में शांति बहुत है।
