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Sakshi Jain

Abstract

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Sakshi Jain

Abstract

क्या लिखूँ

क्या लिखूँ

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ख्वाईशों की बरसात लिखूँ...

या जरूरत की कुछ बूँदे लिखूँ ...

आख़िर क्या लिखूँ।!

अपनों के साथ अपनापन लिखूँ...

या अपनों के साथ अकेलापन लिखूँ...

आख़िर क्या लिखूँ!

नीम सी कडवी सच्चाई लिखूँ...

या झूठ सा मीठा शहद लिखूँ....

आख़िर क्या लिखूँ!

स्टिकर में भेजी गयी वो भावनाएँ लिखूँ

या वाक़ई जो इंसान सोच रहा है वो लिखूँ

आख़िर क्या लिखूँ!

साँसे चल रही हैं इस बात का शुक्रिया लिखूँ...

या मौत के डर से जीना भूल गये है , यह मलाल लिखूँ।

आख़िर क्या लिखूँ !

मन की उदासी लिखूँ...

या चेहरे की मुस्कुराहट लिखूँ...

आखिर क्या लिखूँ !

खुशी की नाराज़गी लिखूँ....

या दुःख की दोस्ती लिखूँ....

आख़िर क्या लिखूँ!

दिमाग की समझदारी लिखूँ.....

या दिल के जज़्बातों की उधारी लिखूँ....

आख़िर क्या लिखूँ।

सपनों का सुकून लिखूँ....

या हकीकत की बेचैनी लिखूँ!                               

     

                


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