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RAKESH SRIVASTAVA

Romance

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RAKESH SRIVASTAVA

Romance

मोहब्बत

मोहब्बत

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साक़ी क्या मिलाई है, तू ने प्यालों में। 

पीकर रहता हूँ, तेरे ही ख़यालों में। 


तुम मुझे चाहो, मेरी चाहत है साक़ी,  

मेरा कभी नाम हो, चाहने वालों में। 


कलम से निकली थी, कभी अरमान साक़ी, 

उन ख़तों का चर्चा है शहर वालों में। 


तेरा करम, जो तू ने मुझ को अपनाया

मशहूर गया हूँ मैं, सभी दिलवालों में। 


जब से छोड़ गई हो, अकेले इस जग में,  

उलझ गया हूँ, बेवजहों के सवालों में।  


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