मोहब्बत
मोहब्बत
अकेला बैठे देख हमें वो यूँ
आए बोलने से पहले घबराए
फिर कुछ इस तरह मुस्कुराए जैसे
लेकिन फिर बोलते-बोलते
थोङा घबराए और कोशिश
करके फिर कहा
"क्या कर रही हैं आप यहां अकेले "
और फिर मुस्काए ।
फिर कुछ कोशिश की ओर आगे बोलना
शूरु किया ।धीरे-धीरे बातो का कारवा बढा़
और यह बाते हम दोनो के ज़हन में
कुछ इस तरह उतरी कि पता चला
हमे मोहब्बत हो गई है।
अब न तो वो अकेले थे और
न हम अकेलापन छोङकर अब मोहब्बत के साये में जीने लगे
हमे।