मोहब्बत रोग होती है
मोहब्बत रोग होती है
सोच से परे निकला
मोहब्बत का सफ़र जानम
रुह को छलनी करके
हमने है जाना जानम
मोहब्बत रोग होती है
लगातार सोग होती है
गुज़रे ज़मानों के लोग बताते थे
बहुत कहानियां सुनाते थे
हमें आगाह करते थे
मगर हम मानते कब थे
यह सब कुछ जानते कब थे
मोहब्बत के नशे में चूर थे हम
हमें मालूम ही कब था
कि मोहब्बत रोग होती है
लगातार सोग होती है
तुम्हारी यादों के समंदर में
मोहब्बत तुफ़ान उठाती है
दिन भर चैन नहीं देती
रात भर रुलाती है
मैं जब कुछ लिखने की कोशिश करुं
मेरे हाथों में पड़ा क़लम
बस तेरा नाम ही लिखता है
और लिखता ही चला जाता है
मेरा हर शब्द कहता है
कि तेरे बिन ज़िन्दगी का
कोई लम्हा नहीं कटता
तुम हर पल और मुझमें बसते हो
मेरा मुझ में कुछ नहीं बचता
मैं जब कुछ गुनगुनाया करुं
मेरे अंदर बसी हुई तेरी आवाज़
मेरे लबों को छू जाती है
मगर हकीकत में तुम
मुझसे दूर बहुत दूर हो जानम
और अब दुनिया से हम कहते हैं
मोहब्बत रोग होती है
लगातार सोग होती है।
