मोहब्बत और सहयोग
मोहब्बत और सहयोग
बीती रात अपनी मेज़ पर आराम फ़रमाते,
खिड़की से ठंडी सरसराती हुई हवा,
मुझे गहरी विचारधारा में ले गयी।
तभी एक ख़्याल आया,
मोहब्बत और सहयोग में क्या अंतर है,
मोहब्बत बर्बाद करती है।
इंसान निभाने वाला मिल जाए तो,
दुनिया याद रखती है,
सहयोग ख़ुदगर्ज़ी से याबेग़र्ज़ी से।
एक रिश्ता ज़रूर बनाता है,
बेग़र्ज़ी याद रखती है, आबाद करती है,
और ख़ुदगर्ज़ी बर्बाद करती है।