मनुष्य जीवन अनमोल
मनुष्य जीवन अनमोल


मनुष्य जीवन अनमोल
इसे पानी में ना घोल
अब गया ना मिलेगा
दे दो कुछ भी मोल
इसे माटी में ना घोल
मनुष्य जीवन अनमोल।
समझ सभी को अपना
जीवन का नाम है तपना
हार हार कर इसे जीतना
कर मन से दुःखों को गोल
निराशा के विचार छोड़
मनुष्य जीवन अनमोल
इसे माटी में ना घोल।
माँ ने खिलाया मुँह का निवाला
खुद गीले में तुझे सूखे में सुलाया
गोदी में रखे तुझे है पाला
उसके त्याग का समझ मोल
मनुष्य जीवन अनमोल
इसे माटी में ना घोल।
हाथ पकड़ चलना सिखलाई
झूला बना हाथों में झूलायी
खिलाई खूब दूध मलाई
अब तो आँखें खोल
मनुष्य जीवन अनमोल
इसे माटी में ना घोल।
होती नहीं गरीबी
मजबूरी
कर्ज़ा शोषण और लाचारी
मन में साहस रखकर चल
सब परिवर्तित मिलेगा कल
समझ समय का मोल
मनुष्य जीवन अनमोल
इसे माटी में ना घोल।
निराशा,हताशा,अवसाद की
ज़िदंगी में चादर ना ओढ़
देख अकेला भानू आसमान में
जलता है दिन-रात
संसार को प्रकाशित
कर ऊर्जा देता है
मानो यह तो बात
रवि सा है तन का तोल
मनुष्य जीवन अनमोल
इसे माटी में ना घोल।
हिम्मत से भर हृदय कलश को
मन से निकाल सारे क्लेश को
हृदय प्रकाश मिल जायेगा
दिल में जलज खिल जायेगा
होगा एक दिन जीवन सफल
होता नहीं एक सा समय
धैर्य रख चिंता में ना डोल
मनुष्य जीवन अनमोल
इसे माटी में ना घोल।