समयकुंडलियाँखोया धन फिर से
समयकुंडलियाँखोया धन फिर से
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खोया धन फिर से मिले,
देख समय अनमोल।
जनम तेज रथ सा चले,
बुद्धि नयन को खोल।।
बुद्धि नयन को खोल,
जो कीमत समझ पाए।
करता है उपयोग,
जीत का फल वह खाए।।
रखता है जो ध्यान,
ज़िंदगी का सुख पाया।
'त्रिवेणी' बना शान,
रोता जो समय खोया।।