मंथ एन्ड की ताक में एक सर्विस मैन हम
मंथ एन्ड की ताक में एक सर्विस मैन हम
हो जाता है हमें बुखार ,जब आता है सोमवार
ऑफिस के वे 5 दिन, हम काटे घंटे गिन गिन
मगर क्या करें...?खर्च मार रहे हैं चाँटा
बाप दादा हमारे कभी ना थे, बिड़ला, अंबानी, अदानी या टाटा।
होम लोन की मारा मारी है ,राशन का बिल उससे भी भारी है।
इनकम टैक्स है खून पी जाती, मंदी बीच बीच में इतराती।
ऑफिस में है इज़्ज़त कम, और सैलरी उससे भी कम।
फाइलें हैं मेज़ पर, जेब में पैसे नहीं,
Month end की ताक में एक service man हम।
