मंज़िल
मंज़िल
हर पल ज़िन्दगी,
इम्तेहान लेती है,
कभी तूफ़ान तू
कभी हवा के झोंके
से हमें भिड़ाती है।
मजबूत इरादा और
अडीग विश्वास ही,
जीवन को सही रूप
में संजोते हैं।
कमज़ोर रास्ते में विफल,
और काबिल तूफानों
को झेल जाते हैं।
हो मंज़िल दूर,
तो रुकना मुमकिन
ना हो, शायद,
मगर बुलंदियों को
पाने वाले, नाविक,
साहिल तक पहुंच ही जाते है।
देर ही सही, मगर
मंज़िल तक पहुंच ही जाते हैं।।