मन को तपनमा
मन को तपनमा
अतृप्त मन मा
कळकळाती तपन
जो उमट्या सेती
दिवस रात सपन
कभी जाग से यहां
उच्च कोटी भावना
पर भकास परिसरलका
झेलसे दरिद्री यातना
पूरी करन इच्छा
भगवान यहान बनेव
केताक खायके खस्ता
पर लालच मा जगेव
उदासीन तपन
वहा होरपळेव मन
अंत समय मा कसेत
कष्ठ मा तपेव से तन।
