STORYMIRROR

Sheshrao Yelekar

Abstract

4  

Sheshrao Yelekar

Abstract

पिचकारी

पिचकारी

1 min
182

वृंदावन मा गोपी संग खेले कृष्ण होली

कृष्ण रुप मा रंगी से राधा भोली


रंग खेलन आयी राधा संग गोप गोपी

मधुर बासरी का सुर छेडकन भुलाय बहूरुपी


सबला रंग मा रंगायनो वालो योव गिरीधारी

वृंदावन मा धावसे रंग भरकन मारन पिचकारी


लाल पिवरो हिवरो गुलाल की उधळण

नटखट कान्हा होली खेलन थरकाये चरण


बचनो से रंग लका भागी भागी राधा

पैंजण ना सुर सोडती भयी कान्हा की बाधा


कृष्ण धवल रंग मा रंगके पुरो संसार सारो

जन जन राधा कृष्ण बनके प्रेमकी पिचकारी मारो!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract