मन घबराया है
मन घबराया है
आज सागर में, मैं कुद पडा हूं।
साहस, मन भर आया हे।
देख अतल, सागर जल राशी,
मनवा, फिर गभराया हे।
मरणपल तक खवाइस हे मोती,
सोचकर मन ललचाया हे।
जग की निंदा ओर ठिठोली,
सुनकर मन, भरमाया हे।
गोताखोरो का देख, दुःसाहस,
मन को फिर, मनाया हे।
अबकी बार, होगा मोती हाथ,
डटकर गोता लगाया हे।