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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

"मकर सक्रांति"

"मकर सक्रांति"

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सबके हृदय में गुड़ जैसी मिठास हो

कोई भी चेहरा नहीं देश में उदास हो

सबको मुबारक हो मकर सक्रांति पर्व

सबके जीवन में नित नव उल्लास हो


पतंग उड़ाये सफलता के फ़लक में

मेहनत की डोरी पकड़े हुए हाथ हो

कोई भी न काटे, आपकी जीवन डोर

इरादों की रस्सी में ऐसा फौलाद हो


आपका जीवन तम हो जाये खत्म

आप जलते हुए सत्य सुंदर चराग हो

सबको मुबारक हो मकर संक्रांति पर्व

सबके जीवन में नित नव उल्लास हो


ईर्ष्या-द्वेष को जलाते हुए अलाव हो

करे दान-पुण्य सब ,बिना स्वार्थ सब

सबके हृदय में निःस्वार्थता भाव हो

मकर सक्रांति, सूर्य से ले ऐसी सीख

लगातार कर्म की संकल्प सकरात हो


सबको मुबारक हो मकर संक्रांति पर्व

सबके जीवन में नित नव उल्लास हो

सब ग्रहण करे तिल, गुड़ चीजे स्वदेशी,

छोड़ दे चीजे चाइनीज मांझे विदेशी


अपने पूर्वजों के सर्व संस्कार साथ हो

खेले सितोलियाँ, मारदड़ी, बॉलीबॉल

विदेशी खेलो का आज बहिष्कार हो

कोरोना हारेगा,गर प्रकृति साथ हो

इस मकर संक्रांति, प्रकृति ख्याल हो


क्यों न बनेगी फिर हिंद धरा स्वर्ग,

सब देशवासियों का हाथों में हाथ हो

सबको मुबारक हो मकर सक्रांति पर्व

सबके जीवन मे नित नव उल्लास हो



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લોગિન

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