मित्र
मित्र
परछाई भी कहाँ फिर साथ निभाती है।
जब तमस एक सीमा पार कर जाती है।
प्रतिकूल समय में साथ हो वही है मित्र,
अनुकूल में तो दुनिया खिंची चली आती है।
किस्मत मेरी अच्छी है मुझको ऐसे यार मिले,
एक नहीं या दो नहीं मुझको पूरे चार मिले।
ये संसार है सागर और जीवन है एक नैया,
योग्य मित्र पाना ऐसा कोई अच्छी पतवार मिले।
बड़े भाग्य से मिलते हैं कुछ दोस्त सच्चे।
जिनके साथ हर उम्र में बन सको बच्चे।
सहेज कर रखना मित्रता के इस बंधन को,
स्नेह और विश्वास के धागे होते हैं बड़े कच्चे।