मिरी मासूमियत और मैं
मिरी मासूमियत और मैं
दिल तो है दिल ,
दिल से खिलवाड़ क्या कीजे।।
कभी कभी की बेमतलब
की खुंदक से तो अच्छा है।।
मुख क्यूँ न सफा सफा
उन लोगो से मोड़ लिया कीजे ।।
दिल तो है दिल ,
दिल से खिलवाड़ क्या कीजे।।
मिरी नाकामियां मिरी फितरती
हरकतों का नतीजा है ।।
इसमें कड़वाहट से भरा इल्ज़ाम
ही क्यों दीजे ।।
हौंसला न दे सके जो ऐसे
यार से तो मेरे दुश्मनों
आप भी तौबा कीजे ।।
दिल तो है दिल ,
दिल से खिलवाड़ क्या कीजे ।।
मैं कोई अजूबा नही
जो अजब गजब नेमतों का
नामजद इंसान होऊँगा ।।
छोटा सा इंसान हूँ ख़ुदाए दुनिया में
बस इतनी सी पहचान होऊँगा ।।
करो स्वीकार दिल से तो गले
लग के भी रोऊँगा
हंसूंगा साथ सब के मासूमियत से
फिर उदास भी होऊँगा ।।
बात बात में दुनिया वालो
मिरा इम्तेहान क्या लीजे ।।
दिल तो है दिल ,
दिल से खिलवाड़ क्या कीजे।।