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Bhawna Kukreti

Abstract

4.5  

Bhawna Kukreti

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महसूस होता है

महसूस होता है

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420


थोड़ी नहीं

बहुत अजीब हूँ

बेजान चीजों में

जीवन का राग 

महसूस करती हूँ

जैसे हर घर मे

संभाल कर रखी 

चाबियां 

और उनके

कहीं लटकते हुए

ताले।


तुम लोगों 

में से किसी ने 

चाबियों को

छल्ले में

बंधे

एक दूसरे से 

बाते करते 

देखा है?


मैंने देखा है

हां महसूस भी किया है

कि हर एक के पास 

होती है

एक ही आस

और एक ही बात।


कि जब भी 

किसी एक चाबी को 

टटोलती हैं

हमारी तुम्हारी 

उंगलियां

सारी चाबियां बेहद 

खुश 

हों जाती है

प्रार्थना करने लगती है

जैसे विनती

उस अनदेखे से

"कुछ पल ही सही,

रहने देना

इन्हें साथ-साथ।"


मगर मैंने 

महसूस किया है

जाने कैसे पर जाना है

कि ये चाबियां

उस एक

चाभी के लिए

दुआ नहीं करती

वे उस 

एक ताले के लिए 

करती है 

जो उनके ताले की

तरह कहीं

अकेला बेबस

उदास है।


थोड़ी नहीं

बहुत अजीब हूँ

बेजान चीजों

में हम दोनों को

इस तरह महसूस

करती हूँ।



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