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Nirupama Mishra

Abstract

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Nirupama Mishra

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महिला दिवस

महिला दिवस

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दशकों का सफर तय करते

अपने उद्देश्य की सीमा को

छूने में कहीं पीछे नही दिखाई देता 

महिला दिवस


औरतें बखूबी जानती हैं अब 

अपने अधिकारों को

कुछ ज्यादा जानकार औरतें 

अपने अधिकारों के भरपूर लाभ लेने में 

पीछे भी नहीं रहती,


सम्मान समारोह की भीड़ में इन ज्यादा 

जानकार औरतों की मुस्काराहट से भी

कहीं खूबसूरत मुस्कराहट होती है 

उन औरतों के चेहरों पर जो आज भी 


अपने आप को दोयम दर्जे की समझे जाने की

मानसिकता से जूझने के बीच अपने कर्तव्यों

की लम्बी फेरहिस्त याद रखती हैं,


उन्हे किसी पुरस्कार के पाने की चाह भी कम होती

उन्हीं संघर्षशील औरतों के जुझारुपन को,

उनके मानवीय चेहरे की चमक बरकरार 

रखने को चाहिये एक नहीं बल्कि 

अनेकों दिवस 


अजब-गजब मानसिकताओं से उलझती 

कम जानकार औरतों को 

समय लगेगा अभी 

और ज्यादा जानकार होने में।


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