महिला दिवस
महिला दिवस
मना रही महिला दिवस ,
दुनिया देखो आज।
शोषण, अत्याचार से गुंजित,
महिला की आवाज़।।
संविधान ने दे रखे ,
उन्हें कई अधिकार।
फिर भी वे वंचित अभी,
जिसकीं वे हक़दार।।
अब भी पुरुष इशारे पर,
वे सदा नाचती रहती हैं।
जैसा पुरुष चाहता है,
वे मजबूरन करती हैं।।
अब भी पुरुष परमेश्वर है,
महिला बस अनुगामी है।
उसकी आशाएँ पदमर्दित,
गई न उसकी गुलामी है।।
उसे जागना होगा और
जगाना होगा औरों को।
महिला दिवस सार्थक होगा,
पा लें अपने अधिकारों को।।
