महात्मा गांधी
महात्मा गांधी
सत्य, अहिंसा के थे, वो तो पुजारी
गांधी जी कहती, उन्हें दुनिया सारी
सहनशीलता उनमें थी इतनी की,
शूलों में जैसे खिले गुलाब क्यारी
नाम यूं ही न लगा महात्मा भारी
कार्य इतने किये थे, बड़े हाहाकारी
एक अहिंसा थी, बंदूकों पर भारी
अंग्रेज़ो ने जाने की कर ली, तैयारी
आधा नंगा बदन, गांधी जी लगे,
गृहस्थ जीवन के संत, निर्विकारी
राष्ट्रपिता पुकारते, हिंद नर-नारी
स्वतंत्रता संग्राम के वो तलवारी
उनका जन्मदिवस दो अक्टूबर,
अहिंसा दिवस मनाये दुनिया सारी
तीस जनवरी शहीद दिवस मनाये,
भारत की पूरी की पूरी जनता सारी
अंतिम शब्द थे, उनके हे राम
वो बने हिंद की बापू, किलकारी
सत्य, अहिंसा के थे, वो तो पुजारी
गाँधी जी कहती, उन्हें दुनिया सारी।