महात्मा बुद्ध
महात्मा बुद्ध
एक आसान सा पथ नहीं,
महात्मा बुद्ध सा बन जाना,
परोपकार का भाव सजा,
शूलों पर भी चल जाना।
हर मुख पर मुस्कान सजा,
दूजो के दुख को सह जाना,
मोह के हर द्वार तज कर,
दिव्य पथ पर चल जाना।
पर असीम है ये आनंद,
जब अंतस भ्रमण होता हैं,
तोड़ भौतिकता के बंधन,
अध्यात्म का पुष्प खिलता हैं।
टूटे हुए हर बंधन फिर,
आत्मीयता का प्रसार करते हैं,
एक कुटुंब की नहीं फिर,
हम वसुधैव कुटुम्बकम की बात करते हैं।।
