महाशक्ति बस एक
महाशक्ति बस एक
ईश्वर कृपा से मिलती
है जीवन में सुख शांति
फिर भी मनु मन भटके
विकल पखेरू की भांति
महाशक्ति बस एक जग
में ऊपर बैठा करतार
फिर मनुष्य बढ़ाता रहता
नित नव रार और व्यवहार
उठना,गिरना,चलना,संभलना
सब कुछ जगदीश की माया
इस दुनिया में आकर मनुष्य
ने परमात्मा को सदा बिसराया
काल के भंवर में डूबे न जाने
कितने, जगत के नृप महान
उनको यह भ्रम हो चला था
कि वो ही सबसे बड़े बलवान।
