महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि
शिवरात्रि का पर्व बहुत महान
जो भी गाये भोले का गुणगान
उसका हो जाता है,कल्याण
शिवरात्रि है,सूर्य रश्मि समान
इसलिये मनाते,महाशिवरात्रि
आज हुई भोले की माँ पार्वती
यहदिन शिव विवाह पहचान
इसदिन को मानते बड़ा,महान
चलता आज भोलेकृपा बाण
कोटि पाप होते,राख समान
कोई कितना पापी हो इंसान
भूल से बेलपत्र चढ़ा दे,इंसान
वो धरा से पहुंचता,आसमान
आपको कोटि-कोटि प्रणाम
मेरे भोले,शिव,शम्भु भगवान
शिवरात्रि का पर्व बहुत महान
इस दिन जो लगाता,तेरा ध्यान
उसे भोलेबाबा के साथ-साथ
मां गोरा का भी मिले,वरदान
भव से तैरता,तिनके समान
कह रहा है,साखी,सुनो सब
यह शरीर होता है,नाशवान
वक्त रहते ले,भोले का नाम
खुद को ले आप पहचान
जब शरीर मे न हो जान
कैसे लोगे भोले का नाम?
इसलिये जाग जा मुसाफिर,
यह तन,किराये का सामान
जब तक तन है,ऊर्जावान
कर भक्ति भोले की इंसान
इस शिवरात्रि ले प्रण चट्टान
छोड़ दूंगा मोह-ममता स्थान
काम,क्रोध,ईर्ष्या सब विकार,
मिटाऊंगा लेकर भोले नाम
अब से हर कर्म समर्पित,
तुझको मेरे प्यारे भगवान
तू ही एकमात्र प्रभु सगा है
बाकी सबने ही मुझे ठगा है
सब रिश्ते है,स्वार्थ की खान
तू भोले पतितपावन भगवान
क्या भूत,प्रेत,देव,क्या मानव
सबको ही दे देता तू वरदान
सबसे जल्दी प्रसन्न होते,आप
आप हो आशुतोष भगवान
नही कोई पूजा विधि हो,भले,
नही कोई मंत्र चाहे तू जान
साफ मन से गर ले भोले नाम
हो जायेगा तेरा बस कल्याण
शिवरात्रि का पर्व बहुत महान
जो करता आज,व्रत उपहास
उसे भोले देते,आज मोक्ष दान
शिवरात्रि है,अमृत के समान
जो करे,आज भक्ति रस पान
मृत्यु है,उसके लिये अनजान
वो ही बनता महाकाल भक्त,
जिसका दिल, गंगा नीर समान।
