मेरी नई उम्र
मेरी नई उम्र
ना चेहरे ना आंखों को थकन परवाह है
ये नसों की टेढ़ी सलवटें उम्र की गवाह हैं
अब बात सरेआम है ना पर्दा है कहीं
फिर भी एक नई उम्र को ढूंढती सांसे मेरी,
नए दिनों में कुछ इज़ाफा हो
मसरूफियत कम फुर्सतें ज्यादा हों
जो जिंदगी जीना भूल गए थे
अब वही जी भर जी लें.. तो बात तो,
ना हम हाल पूछें किसी का अब
ना हमारी कोई खबर खैरियत पूछे
इन रस्मों से आज़ाद हो लें ज़रा
महफिल बस हमारी हो.. तो बात हो,
नए नातों के बंधन से जुदा ही रहें
कोई हम जैसा मिले तो उससे जुड़ें
हल्की फुल्की यारी दोस्ती ठीक है
हाथ को हाथ की ख़बर ना हो.. तो बात हो,
इस नई उम्र की तारीखें चाहे कम रहें
दिन से रात की दूरी बस लंबी रहे
आसमान का सितारा दिखता है जैसे
लोग दूर से ही हंस के देखें.. तो बात हो।
