मेरी नानी
मेरी नानी
कितनी मधुर मुस्कान लिए,
आँखों में करुणा का ज्ञान लिए,
शीतल सी आभा का मान लिए,
कोमल से अस्तित्व का सम्मान लिए,
बैठी है यूँ, पवन सी देवी बनकर,
सदा बच्चों को स्नेह वो करती,
कभी किसी से ना उलझती ना लड़ती,
शहनशीलता ऊँचे पर्वत जैसी,
उदारता गहरे सागर जैसी,
सादगी श्वेत कमल जैसी,
ढृंढ़ता एक वीरांगना जैसी-
मेरी नानी |