भारती वंदना
भारती वंदना
मन में ममता नेह नयन में, मुख की आभा भोली ।
केशरिया चूनर के संग में, श्वेत दमकती चोली ।।
हरी घघरिया निरखूँ तो मन, अनुपम सुख है पाता ।
लिये तिरंगा हाथ खड़ी है, मेरी भारत माता ।।
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चक्र प्रगति का चले निरंतर,नील वर्ण सुखदाई ।
बिखरा आँगन रंग वसंती, निरखे माॅ हरषाई ।।
रक्त शहीदों का महकाये, माँ का हर गलियारा ।
देश मुझे लगता है मेरा , सारे जग से न्यारा ।।
