मेरी लत
मेरी लत
मेरी लत जो लगी है तुम सबको,
कैसे मैं छुड़ाऊं उसे ।
ऊंगली की मार से थक गया हूँ मै,
कैसे छुटकारा मिलेगा मुझे ।
लेकर हाथो मे घूमते रहते हैं ,
कभी फोन तो कभी सामाजिक मीडीया पर,
अपना समय बिताते रहते हैं ।
कभी आवाज मेरी बदलते रहते हैं ,
तो कभी मुझे गूंगा कर देते हैं ,
अपनी मर्जी से मुझे चलाते रहते हैं ,
हर पल सताते रहते हैं ।
मृदुल मन सबका यह जानता है,
खराब है मेरी लत, पर छोड नह़ी पा रहा,
मेरी लत जो लगी है तुम सबको,
कैसे मैं छुड़ाऊं उसे ।
