निवृति
निवृति
पिंजरे मे कैद पंछी, आजाद हो रहा है
तजुर्बा लेकर आज आसमान छू रहा है
पर्वतों की चोटी से दिल नीचे झांक रहा है
कठिन यह राह मे,बने रिश्ते छोड़ रहा है
.....पिंजरे
हसीन सभी यादें साथ ले जा रहा है
दिल यही छोड कर, खुद को ले जा रहा हैै
बहुत कर ली जरुरत के लिये गुलामी,
अब खुशियाँ सारी दामन मे समेटे जा रहा है.
.......पिंजरे
कल महफिल यूँ ही सजेगी,
पर अफसोस तुम ना होगे,
रिक्त स्थान शायद कल भर जाए,
पर कमी आपकी पूरी न कर पाऎ,.....
......पिंजरे
निवृति आपकी मुबारक हो
हसीन ये जिंदगी आगे आपकी सुखदायक हो
यश किर्ति, सुख संपति, चिरंजीव आयुष्य की प्राप्ति हो,
मृदुल मनसे यही हमसबकी दुवा हैै आपको,
आज प्रभु से यही हमारी प्रार्थना हो.
....पिंजरे
